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हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले जानिए ये 5 बातें, नहीं तो होगा ये नुकसान|

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हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले जानिए ये 5 बातें, नहीं तो होगा ये नुकसान

हनुमान चालीसा रामायण की एक प्रसिद्ध कविता है जो भगवान हनुमान की महिमा का वर्णन करती है। यह एक बहुत ही शक्तिशाली और प्रभावी प्रार्थना है जिसे विभिन्न लाभों के लिए पढ़ा जा सकता है। हालांकि, हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।

हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले ये पाँच बातें जानना बहुत महत्वपूर्ण होता है:

१. अवस्था और स्थान: हनुमान चालीसा को पढ़ने के लिए शुद्धता और शांति की जरूरत होती है। यह उच्चारण को सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण बनाता है।

२. समझना: चालीसा का महत्त्व और मार्गदर्शन को समझना बहुत जरूरी है। शब्दों के अर्थ को समझकर उनका अनुभव करना चाहिए।

३. श्रद्धा और भक्ति: हनुमान चालीसा को पढ़ते समय श्रद्धा और भक्ति से पढ़ना चाहिए। इससे उसकी शक्ति और प्रभावशीलता बढ़ती है।

४. व्यक्तिगत समय: चालीसा को पढ़ने का समय अहंकार और अफसोस के बिना होना चाहिए। यह आत्म-साक्षात्कार और मानसिक शांति के लिए मदद करता है।

५. निष्क्रियता: चालीसा को पढ़ते समय शांति और ध्यान को बनाए रखना चाहिए। किसी भी प्रकार की अनवांछित गतिविधियों से बचना चाहिए।

इन पाँच बातों का पालन करके हनुमान चालीसा का पाठ करने से उसका महत्व और प्रभाव दोगुना होता है।

हनुमान चालीसा पढ़ने के नुकसान

अगर आप श्रद्धा से हनुमान चालीसा नियमित पढ़ते है तो इसका कोई नुक्सान नहीं है , आप डेली सुबह नाहा कर हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते है , अगर सम्भब हो तो मंगलवार और शनिवार को किसे हनुमान जी की मंदिर में जा कर चालीसा का पथ करे

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चालीसा

Shani Chalisa in Hindi Lyrics PDF | श्री शनि चालीसा

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Shani Chalisa

हिंदू धर्म में न्याय और कर्म के देवता के रूप में विख्यात शनिदेव की भक्ति के लिए प्रसिद्ध “शनि चालिसा (Shani Chalisa)” एक भावपूर्ण भजन है। इसकी रचना संत तुलसीदास जी द्वारा की गई मानी जाती है, जिन्होंने रामचरितमानस जैसे महाकाव्य की रचना भी की थी।

चालिसा के 40 पदों में शनिदेव के स्वरूप, उनके न्याय के सिद्धांतों, उनके प्रसन्न होने पर मिलने वाले शुभ फलों और क्रोधित होने पर आने वाले कष्टों का वर्णन किया गया है। भक्त शनिदेव से कष्टों को दूर करने, जीवन में सफलता और समृद्धि लाने की प्रार्थना करते हैं।

Shani Chalisa का पाठ करने से न केवल शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि मन को शांति और धैर्य भी मिलता है। यह लोकप्रिय भजन किसी भी समय, कहीं भी पढ़ा जा सकता है, लेकिन शनिवार का दिन इसे पाठ करने के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

संक्षेप में, शनि चालिसा (Shani Chalisa) एक भक्तिमय रचना है जो शनिदेव के प्रति श्रद्धा व्यक्त करती है और भक्तों को कर्म, न्याय और धैर्य का संदेश देती है।

Shani Chalisa in Hindi Lyrics

।। दोहा ।।

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल।।

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज।।

।। चौपाई।।

जयति जयति शनिदेव दयाला । करत सदा भक्तन प्रतिपाला।।

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै । माथे रतन मुकुट छवि छाजै।।

परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला।।

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके । हिये माल मुक्तन मणि दमके।।

कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं आरिहिं संहारा।।

पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन । यम, कोणस्थ, रौद्र, दुख भंजन।।

सौरी, मन्द, शनि, दश नामा । भानु पुत्र पूजहिं सब कामा।।

जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं । रंकहुं राव करैंक्षण माहीं।।

पर्वतहू तृण होई निहारत । तृण हू को पर्वत करि डारत।।

राज मिलत बन रामहिं दीन्हो । कैकेइहुं की मति हरि लीन्हों।।

बनहूं में मृग कपट दिखाई । मातु जानकी गई चतुराई।।

लखनहिं शक्ति विकल करि डारा । मचिगा दल में हाहाकारा।।

रावण की गति-मति बौराई । रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई।।

दियो कीट करि कंचन लंका । बजि बजरंग बीर की डंका।।

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा । चित्र मयूर निगलि गै हारा।।

हार नौलाखा लाग्यो चोरी । हाथ पैर डरवायो तोरी।।

भारी दशा निकृष्ट दिखायो । तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो।।

विनय राग दीपक महं कीन्हों । तब प्रसन्न प्रभु है सुख दीन्हों।।

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी । आपहुं भरे डोम घर पानी।।

तैसे नल परदशा सिरानी । भूंजी-मीन कूद गई पानी।।

श्री शंकरहि गहयो जब जाई । पार्वती को सती कराई।।

तनिक विलोकत ही करि रीसा । नभ उडि़ गयो गौरिसुत सीसा।।

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । बची द्रौपदी होति उघारी।।

कौरव के भी गति मति मारयो । युद्घ महाभारत करि डारयो।।

रवि कहं मुख महं धरि तत्काला । लेकर कूदि परयो पाताला।।

शेष देव-लखि विनती लाई । रवि को मुख ते दियो छुड़ई।।

वाहन प्रभु के सात सुजाना । जग दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना।।

जम्बुक सिंह आदि नखधारी । सो फल जज्योतिष कहत पुकारी।।

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं । हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं।।

गर्दभ हानि करै बहु काजा । गर्दभ सिद्घ कर राज समाजा।।

जम्बुक बुद्घि नष्ट कर डारै । मृग दे कष्ट प्रण संहारै।।

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी । चोरी आदि होय डर भारी।।

तैसहि चारि चरण यह नामा । स्वर्ण लौह चांजी अरु तामा।।

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं । धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै।।

समता ताम्र रजत शुभकारी । स्वर्ण सर्व सुख मंगल कारी।।

जो यह शनि चरित्र नित गावै । कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै।।

अदभुत नाथ दिखावैं लीला । करैं शत्रु के नशि बलि ढीला।।

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई । विधिवत शनि ग्रह शांति कराई।।

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत । दीप दान दै बहु सुख पावत।।

कहत रामसुन्दर प्रभु दासा । शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा।।

।। दोहा ।।

पाठ शनिश्चर देव को, की हों विमल तैयार ।

करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार।।

श्री शनि चालीसा (Shani Chalisa PDF)

Jai Ganesh Girija Suvan, mangal karan kripal,
Deenan ke dukh door kari, kijiye nath nihal.
Jai Jai Shri Shanidev Prabhu, sunahu vinay Maharaj,
Karahu kripa hey Ravi Tanay, rakhahu jan ki laaj.
Victory, victory to benevolent Shanidev, always guarding devotees,
With four arms, a dark form shines, adorned with a jeweled crown.
Supremely magnificent, with a broad forehead, a fierce gaze, and a fearsome frown,
Earrings sparkle, pearls and gems shine in the heart’s garland.
Holding a mace, trident, axe, annihilating in a blink,
Pingle, Krishna, shadow, Nandan, Yam, Konsath, Rudra, dispeller of sorrows.
Solar, lunar, Saturn, ten names, worshipped for all endeavors,
Where the Lord is pleased, desires are fulfilled in a moment.
Mountains turn into grass while grass pierces mountains,
Bestowing kingdom to the humble and fooling the arrogant.
In the forest, a deer’s cunning was seen, Sita’s wisdom was tested,
Breaking the strength of Lakhna, cries echoed in Ravana’s army.
Ravana’s intellect deluded, increasing Lord Ram’s enmity,
Setting Lanka on fire, sounded Hanuman’s warning bell.
Putting your feet on the mighty king, made the peacock surrender.
Defeated in a game of dice, causing fear in hands and feet,
Showing a terrible state, making them turn oil presses.
Offering prayers with humility, lighting the lamp of respect,
The Lord pleased, granting happiness to the distressed.
Harishchandra, the king, and Bikaner’s woman, filled the Dom’s home,
Nala faced a difficult fate, enjoyed fish jumping in water.
When Shiva went to marry, Sati looked with curiosity,
The sky flew away, Gauri’s head was lost.
Your difficult situation on the Pandavas, Draupadi remained disgraced,
Kauravas lost their wisdom and dignity, war erupted in Mahabharata.
Ravi hiding his face instantly, jumped into the abyss,
The serpent deities pleaded, freeing Ravi’s face.
Vehicles of the Lord and his seven companions, roam all around,
Camel, deer, lion, and dog, tell this auspicious story.
A jackal with claws and teeth, predicted the future of fruits,
Elephants bring fortune to the house, horses bring happiness and wealth.
A camel may cause harm in many tasks, but when tamed, it brings success,
Jackals may destroy wisdom, deer give relief from distress.
When the Lord arrives on a dog’s mount, fear vanishes instantly,
Reciting these four feet of verses, gold, iron, and copper.
When the Lord arrives on iron feet, wealth, people, and prosperity get destroyed,
Equally, copper, silver, and good actions, gold brings all happiness.
Whoever sings this story of Saturn regularly, never suffers a dire fate,
Witness the wondrous play of the supreme Lord, weakening the enemy’s strength.
Summoned by capable pundits, Saturn grants peace as ordained,
Offering water to the peepal tree on Saturdays, giving lamps brings much joy.
Says the servant of Lord Ram, recalling Saturn brings brightness.
Recite the path of the Saturn God, and become pure,
Recite for forty days, cross the ocean of existence.”

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चालीसा

Durga Chalisa in Hindi | दुर्गा चालीसा

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Durga Chalisa दुर्गा चालीसा

दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa) हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध भक्ति पाठ है। यह देवी दुर्गा की स्तुति करता है, जो शक्ति और दया की देवी हैं। चालीसा में 40 श्लोक हैं, जो देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों और गुणों का वर्णन करते हैं।

श्री हनुमान चालीसा

Durga Chalisa | दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥

शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥

रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥ ४

तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ ८

रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥ १२

क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥

मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १६

केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ २०

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥

रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ २४

अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥ २८

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥

शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥

शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ ३२

शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥

आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ ३६

शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥

करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥

जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥ ४०

देवीदास शरण निज जानी ।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥

॥दोहा॥

शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक ।
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक ॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥


Durga Chalisa in Hinglish

“NamO NamO DurgE sukh karani।
NamO NamO DurgE dukh harani॥

Nirankar hai jyoti tumhari।
Tihun lok faili ujiyari॥

Shashi lalat mukh mahavishala।
Netra lal bhrukuti vikarala॥

Roop matu ko adhik suhave।
Darash karat jan ati sukh pave॥ 4

Tum sansar shakti lai keenaa।
Palan hetu ann dhan deena॥

Annapurna hui jag pala।
Tum hi aadi sundari bala॥

Pralayakal sab nashan haari।
Tum gauri Shivshankar pyaari॥

Shiv yogi tumhare gun gaave।
Brahma Vishnu tumhein nit dhyaave॥ 8

Roop Saraswati ko tum dhara।
De subuddhi rishi munin ubaara॥

Dharyo roop Narsingh ko amba।
Pargat bhai faadkar khamba॥

Raksha kari Prahlad bachayo।
Hiranyaksh ko swarg pathayo॥

Lakshmi roop dharo jag maahi।
Shri Narayan ang samaahi॥ 12

Ksheersindhu mein karat vilaasa।
Dayasindhu dije man aasa॥

Hinglaj mein tumhi bhavani।
Mahima amit na jaat bakhaani॥

Matangi aru Dhumavati mata।
Bhuvaneshwari Bagla sukh data॥

Shri Bhairav Tara jag tarini।
Chhin bhaal bhav dukh nivaarini॥ 16

Kehar vahan soh bhavani।
Langur veer chalat agwaani॥

Kar mein khappar khadag viraajai।
Jaako dekh kaal dar bhaajai॥

Sohai astr aur trishula।
Jaate uthat shatru hiya shoola॥

Nagar kot mein tumhi viraajat।
Tihulok mein danka bajaat॥ 20

Shumbh Nishumbh danav tum maare।
Raktabeej shankhan sanhaare॥

Mahishasur nrip ati abhimaani।
Jehi agh bhaar mahi akulaani॥

Roop karaal Kalika dhara।
Sen sahit tum tihi sanhaara॥

Pari gaadh santan par jab jab।
Bhai sahaay matu tum tab tab॥ 24

Amarpuri aru basav loka।
Tab mahima sab rahen Ashoka॥

Jwaala mein hai jyoti tumhari।
Tumhein sadaa poojen naranari॥

Prem bhakti se jo yash gaave।
Dukh daaridra nikat nahin aave॥

Dhyaave tumhein jo nar man laai।
Janma maran takau chhuti jaai॥ 28

Jogi sur muni kahat pukaari।
Yog na ho bin shakti tumhari॥

Shankar aacharaj tap kiino।
Kaam aru krodh jeeti sab leeno॥

Nishi din dhyaan dharo Shankar ko।
Kaahu kaal nahin sumiro tumko॥

Shakti roop ka maram na paayo।
Shakti gayi tab man pachitaayo॥ 32

Sharnaagat hui kirti bakhaani।
Jay jay jay Jagadamba bhavani॥

Bhai prasann aadi Jagadamba।
Dai shakti nahin keen vilamba॥

Moko matu kasht ati ghero।
Tum bin kaun harai dukh mero॥

Aasha trishna nipat sataave।
Moh madaadik sab binashaave॥ 36

Shatru naash kije maharaani।
Sumirau ikchit tumhein bhavani॥

Karo kripa hey matu dayaala।
Riddhi siddhi dai karahu nihaala॥

Jab lagi jio daya phal paau।
Tumharo yash main sada sunaau॥

Shri Durga Chalisa jo koi gaave।
Sab sukh bhog parampad paave॥ 40

Devi daas sharan nij jaani।
Kahu kripa Jagadamba bhavani॥

||Doha||

Sharnaagat raksha kare,
Bhakt rahe nishank।
Main aaya teri sharan mein,
Matu lijiye ank॥
||Iti Shri Durga Chalisa||”


दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa) के भक्तिमय 40 श्लोक आपको माँ दुर्गा के दिव्य आलिंगन में पहुंचाते हैं। बुराई पर विजय, शक्ति का संचार और आत्मविश्वास का उन्मेष – यही है दुर्गा चालीसा का सार। हर कण में समाई शक्ति से जुड़ने का यह पवित्र मार्ग है।

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मन्दिर

Ayodhya Ram Mandir | आयोध्या के राम मंदिर का ऐतिहासिक महत्त्व और सांस्कृतिक महिमा

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ayodhya ram mandir आयोध्या के राम मंदिर

Ayodhya Ram Mandir परिचय: आयोध्या में स्थित राम मंदिर भारतीय सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व का प्रतीक है। इस महान मंदिर का निर्माण भगवान राम को समर्पित है, जो हिन्दू धर्म में एक महत्त्वपूर्ण देवता है। मंदिर का निर्माण और इसकी कहानी एक चुनौतीपूर्ण यात्रा को दर्शाती है, जो विश्वास, राजनीति और इतिहास को जोड़ती है।

Ayodhya Ram Mandir

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: उत्तर प्रदेश में स्थित आयोध्या हजारों वर्षों से भगवान राम के जन्मस्थल के रूप में पूज्यमान है। भगवान रामायण में महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हैं। इस स्थल पर हिन्दू समुदाय का दावा था कि यहाँ पर भगवान राम का जन्म हुआ था।

आयोध्या विवाद: आयोध्या की भूमि विवाद ने हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच एक लंबी कानूनी और सामाजिक जंग को जन्म दिया। इस विवाद का मुद्दा था बाबर ने 16वीं सदी में बाबरी मस्जिद का निर्माण किया था, जिसे हिन्दू समुदाय ने उस पुराने मंदिर के शवों पर बनाया गया मस्जिद माना।

कानूनी प्रक्रिया और ऐतिहासिक निर्णय: 2019 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले में, राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि को हिंदुओं को सौंपी गई। इस फैसले का उद्देश्य एक पुराने विवाद को समाप्त करना था, साथ ही दोनों समुदायों की धार्मिक भावनाओं को समझते हुए।

राम मंदिर का निर्माण: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद, राम मंदिर के निर्माण की तैयारियाँ शुरू हुईं। 2020 में हुए भूमि पूजन समारोह ने मंदिर के निर्माण की शुरुआत की, जिसमें भक्तों, राजनेताओं और वैश्विक ध्यान को आकर्षित किया। मंदिर का वास्तुकला भारतीय धरोहर को संरक्षित करते हुए पारंपरिक और आधुनिक शैलियों को मिश्रित करती है।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व: राम मंदिर का सम्पूर्ण होना हिन्दू समुदाय के लिए विशेष महत्त्व रखता है। यह धार्मिक स्थल एक तीर्थस्थल के रूप में कार्य करता है, जो भक्तों को आत्मिक शांति प्राप्त करने और भगवान राम के विरासत से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति के और धार्मिक सहिष्णुता के प्रतीक के रूप में उभरता है।

प्रभाव और प्रतीकता: राम मंदिर का उद्घाटन संगठन, शांति और समावेश के प्रतीक के रूप में खड़ा होता है, जो भारत में विविध समुदायों के बीच एक सामंजस्य की कहानी को दर्शाता है। यह भारतीय सांस्कृतिक धागे की मजबूती और संवाद की शक्ति को प्रकट करता है, जो प्राचीन विवादों को सुलझाने में साहसी और समझौतापूर्ण बनाता है।

राम मंदिर में 15-22 जनवरी 2024 तक का शेड्यूल

तारीखकार्यक्रम विवरण
15 जनवरी, 2024मकर संक्रांति पर खरमास का समापन। श्रीराम की बालरूप मूर्ति का गर्भगृह में स्थापना।
16 जनवरी, 2024श्रीराम की मूर्ति का ‘अधिवास’ समारंभ।
17 जनवरी, 2024श्रीराम की मूर्ति का नगर में परिक्रमा।
18 जनवरी, 2024प्रतिष्ठा अनुष्ठान की शुरुआत: मंडप प्रवेश, वास्तु पूजन, वरुण पूजन, गणेश पूजन, और मार्तिका पूजन।
19 जनवरी, 2024‘यज्ञ अग्नि कुंड’ का स्थापना। अग्नि को जलाने के लिए विशेष अनुष्ठान।
20 जनवरी, 202481 पवित्र कलशों के साथ राम मंदिर के गर्भगृह का पवित्रीकरण। ‘वास्तु शांति’ का अनुष्ठान।
21 जनवरी, 2024यज्ञ और हवन के दौरान श्रीराम का 125 पवित्र कलशों से दिव्य स्नान।
22 जनवरी, 2024प्राण प्रतिष्ठा का समापन। दोपहर में मृगशिरा नक्षत्र के तहत श्रीराम की महापूजा।

निष्कर्षण: आयोध्या का राम मंदिर केवल एक वास्तुकला की अद्वितीयता नहीं है; यह भारतीय इतिहास, धर्म, और सामाजिक परिवर्तन की गहरी कहानियों को संजोकर रखता है। इसका निर्माण और उद्घाटन द्वारा नई एक युग की शुरुआत होती है, जो विविधता, सहिष्णुता, और सांस्कृतिक धरोहर को महत्त्व देता है।

ram mandir ayodhya एक आशा का प्रकाशक है, एकता का प्रतीक है, और साहस और विश्वास की कहानी है, जो सदैव शांति और बंधुत्व के नैतिक आदर्शों को गूंजाता है।

सामान्य प्रश्न

प्रश्न 1: अयोध्या का ऐतिहासिक महत्त्व क्या है?

उत्तर: उत्तर प्रदेश में स्थित अयोध्या को हजारों वर्षों से भगवान राम के जन्मस्थल के रूप में पूज्यमान माना गया है, जो कि ‘रामायण’ महाकाव्य में महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हैं।

प्रश्न 2: अयोध्या विवाद क्या है?

उत्तर: अयोध्या की भूमि विवाद ने हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच एक लंबी कानूनी और सामाजिक जंग को जन्म दिया। यह विवाद उस समय का है जब 16वीं सदी में बाबर ने बाबरी मस्जिद का निर्माण किया, जिसे हिन्दू समुदाय ने उस पुराने मंदिर के शवों पर बनाया गया मस्जिद माना।

प्रश्न 3: राम मंदिर का निर्माण कैसे हुआ?

उत्तर: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद, राम मंदिर के निर्माण की तैयारियाँ शुरू हुईं। 2020 में हुए भूमि पूजन समारोह ने मंदिर के निर्माण की शुरुआत की, जिसमें भक्तों, राजनेताओं और वैश्विक ध्यान को आकर्षित किया। मंदिर का वास्तुकला भारतीय धरोहर को संरक्षित करते हुए पारंपरिक और आधुनिक शैलियों को मिश्रित करती है।

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